जीवन का नेह निचोड़ गीत मातृभूमि का गाता हूँ
तिरंगे वसन का प्रेमी मैं शौर्य विजय की गाथा हूँ
मौन क्षितिज चारों दिशाओं पर पूरा हिंदुस्तान हूँ
भारतीय सेना की शान हूँ वीर गढ़वाली जवान हूँ।
वीर गबर दरवान जसवंत के देश का वासी हूँ
सघन बनों दुर्गम ठौर प्राचीर प्रहरी सन्यासी हूँ
भय न किसी झंझावतों से न फिक्र तुफानो की
कीट कीकर में फंख खोल उड़ने का अभ्यासी हूँ।
राष्ट्र रक्षार्थ कर्मवेदी पर रचा गया एक विधान हूँ
भारतीय सेना की शान हूँ वीर गढ़वाली जवान हूँ।
क्यों न दुःख कराल कष्टों से मेरा जीवन संसार रहे
चाहे समर भूमि में धधकता शोला व हाहाकार रहे
युद्धाय कृत निश्चय: आदर्श सर माथे पर रखता हूँ
बद्री विशाल लाल की जय का, जय घोष करता हूँ।
रेड लाईन यार्ड वर्दी धारी औरों से परे पहचान हूँ
भारतीय सेना की शान हूँ वीर गढ़वाली जवान हूँ।
गम नहीं मैं आहुत हो जाऊं भारत माँ तेरा प्रताप रहे
वेग बुलंद हो उन्नति का इस भुवन अमित छाप रहे
पहाड़ी पुत्र हूँ सिंहनाद कर अरि मांदों पर झपटता हूँ
शपथ ली पुनीत गीता की गीत महाभारत के गाता हूँ।
राष्ट्र सुख शांति निमित एक कवच हूँ परिधान हूँ
भारतीय सेना की शान हूँ वीर गढ़वाली जवान हूँ।
रंचना : बलबीर राणा 'अड़िग'