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शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

मेरी मुहबत


तेरे ख्वाबों खयालों में खोता रहता।
गम के हर आँसू पीता रहता।
तनहाईयों में भ्रमण करता रहता।
कब मिटेयी दूरियां ये सोचता रहता।
हर रस्ते में तुझे खोजता रहता।
जीवन का हर वो बेशकीमती पल]
तेरे लिए संजोता रहता।
जमाने की हर खुशी]
तेरे लिए समेटता रहता।
खुशी के उस पल के इन्तजार में]
दिन गुजरते हैं मेरे।
मेरी मुहबत पर एतबार रखना]
इसलिए तनहाईयों से लडता रहता।
रचना -: बलबीर राणा "भैजी"
31 अगस्त 2012

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