धरा पर जीवन संघर्ष के लिए है आराम यहाँ से विदा होने के बाद न चाहते हुए भी करना पड़ेगा इसलिए सोचो मत लगे रहो, जितनी देह घिसेगी उतनी चमक आएगी, संचय होगा, और यही निधि होगी जिसे हम छोडके जायेंगे।
Pages
▼
रविवार, 2 सितंबर 2012
अडिग शब्दों का पहरा: लालसा
अडिग शब्दों का पहरा: लालसा: लालसा जीवन की आश तु ही जगाती खुल जाते मन के कपाट ओर-पोर जुड जाते दिल के तार तन सावधान ऑखों में चमक कान अडिग खडे वाणी...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें