धरा पर जीवन संघर्ष के लिए है आराम यहाँ से विदा होने के बाद न चाहते हुए भी करना पड़ेगा इसलिए सोचो मत लगे रहो, जितनी देह घिसेगी उतनी चमक आएगी, संचय होगा, और यही निधि होगी जिसे हम छोडके जायेंगे।
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सोमवार, 15 अक्टूबर 2012
बिछडा पंछी
बिछडा पंछी आज फिर उदास है दिल के धडकन की आवाज घोंसलें के आस पास है मन के सहस्रों सवालों का जबाब नहीं किसी के पास है
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