Pages

शनिवार, 20 अक्टूबर 2012

दीदार



आज फिर आँखें चार हुई हैं
पलकों ही पलकों में बात हुई है
बंद होंठ खुले भी नहीं
जी भरकर वार्तालाभ हुई है
एक झलक देख लेने से ही
एक दूसरे  के दीदार हुए हैं

  बलबीर राणा "भैजी"

20 अकटूबर  2012

2 टिप्‍पणियां:

  1. शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन,पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने.बहुत खूब.
    बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
    आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर चित्रांकन के साथ सुन्दर प्रस्तुति ...

    जवाब देंहटाएं