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रविवार, 20 जनवरी 2013

कनु जमानु बदली


कनु जमानु बदलीगे कनु बदली समाज।
चाटुकार और घुशखोरों की हुयुं चा राज
नी करदा कै पर दया धर्म नी रखदा कै की लाज ।

कनु जमानु बदली कनु बदली समाज ।
रूप्या पैंसा पैंसा रूप्या बिन रूप्यों नी करदा काज।
निरबंशी  और लापता ह्वेगे ख्यालीराम और दया राम
मनखीयत पर कबजा करेली चालाक मतलबराम ।

कनु जमानु बदलीगे कनु बदली समाज ।
टकों मा ईमान बिकणु टकों कु ही रय्युं सम्मान
बिना टकों की खुटी खसकदी कनु के होलु गरीग कु काम।

रसूखदारों की रोटी घी मा टपकणी चा
जै कु नी क्वी पुछण वालु वै की रोटी कडकडी ह्वयीं चा

कनु जमानु बदलीगे कनु बदली समाज
अपणी भाषा सौतेली बणी बिदेशी भाषा मा हूणु काज।

शर्म आज्दी अपनी बोली बुन मा
दूसरा तें समझदा गंवार ।
गिटपिट हिंग्लिस बोली
बणी जान्दा जाट साब।

कनु यु जमाना बदली
कनी बदली मनखीयों की नेथ।
जै तें भी देखा वे कु बणी द्वि रूप द्वि भेष ।

18 जनवरी 2013
रचना . बलबीर राणा ‘भैजी’

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