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गुरुवार, 23 मई 2013

पिताजी





पिताजी छवि आपकी इस तन मन में रमी है,
सब कुछ है आज मेरे पास, बस आपकी कमी है।
वाणी के बोल आपके, हर वक्त याद आते हैं
जीवन की चडायी में, हाथ खींच सहारा दे जाते हैं।
इस कर्मभूमि के हर पहलू हर कार्य सम्पदा में,
क्षण. क्षण तुम्हें महसूस करता हूँ,
जीवन की गाडी का सारथी तुम्हें पाता हूँ।
आप केवल जनक नहीं सच्चे पालक थे,
उस से बढ कर एक सच्चे मार्गदर्शक थे।

 


16 फरवरी 2013


पुज्य पिताजी की पुण्य तिथी पर

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