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रविवार, 16 जून 2013

औ लाटा बोडी ऐजा



औ लाटा बोडी ऐजा,सुखी शान्ति बांटी जा
खुदेड हुय्यां तेरा अपणा, भेंट तों दगडी कैरी जा

तों शैरों की धूला रोली से, द्वि दिन, सुखी का बीते जा
ठंडी बथों का ससराट मा, चौका तिरवाल बैठ जा  
खुदेड हुय्यां तेरा अपणा, भेंट तों दगडी कैरी जा

दादी यकुली बबडांदी, सूनी डंडयाली मा
ब्वे की आँखी टबडांदी त्यारा बाटों मा
यूँ तें मुखडी दिखे यूँ कु पराण जग्वाली जा
खुदेड हुय्यां तेरा अपणा, भेंट तों दगडी कैरी जा

क्या पायी बाबा ल खैर खैकी,
दादा दादी ल पीठ मा बोकी की,
ब्वे न बिपदा भोगी, त्वे पाली पोषी की  
जरा यूँ का बुडापा का आंशु पोछीं जा
खुदेड हुय्यां तेरा अपणा, भेंट तों दगडी कैरी जा

उनी च यख डालियों कु छैलू
उनी च छ्व्युं कु ठण्डु पाणी
उनी च मनखियों की निर्मल माया
दीदी, भुलि, काका, बोडीयों मा माया बांटी जा
खुदेड हुय्यां तेरा अपणा, भेंट तों दगडी कैरी जा

औ लाटा बोडी ऐजा,सुखी शान्ति बांटी जा
खुदेड हुय्यां तेरा अपणा, भेंट तों दगडी कैरी जा

रचना : बलबीर राणा “भैजी” 

© सर्वाध सुरक्षित



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