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शनिवार, 5 अक्टूबर 2013

यहीं है मोक्ष धाम


घडी दो भज लो हरी का नाम,

दुःख हर लेंगे मेरे राम, 2

पल हर पल हो जाओ अंतरध्यान, 2

सब कष्ठ हर लेंगे मेरे राम ,



अपने पराये के भेद ने, दुर्ग मनुष्य का ढहाया है,   

खुद के बोये काँटों में जीवन, शूलों में हमने गुजारा है,

अभी भी वक्त है, ले ले संभलने का नाम,

तेरे दुःख हरेंगे मेरे राम,

घडी दो .........................



उम्र भर हाय तोबा  में ही, जीवन का मोल हम भूल गए,

अहंकार की मंजिलें सजा, सजा के खुद को तोलना भूल गए,

पता न चलेगा, कब ढल जाए जीवन की शाम,

सब दुःख हर लेंगे मेरे राम

घडी दो .........................



बुरे कर्म के बुरे समय में, कोई न कहेगा तुझे अपना,

धरती होकर क्यों देखता है, आशामान का झूटा सपना,

सत कर्म से सदोगति का, यहीं है मोक्ष धाम...

तेरे दुःख हरेंगे मेरे राम

घडी दो .........................

जै राम, श्रीराम जय जय राम

हरी नाम श्रीराम जय जय राम

घडी दो भज लो हरी का नाम

दुःख हर लेंगे मेरे राम

पल हर पल हो जाओ अंतरध्यान

सारे कष्ठ हर लेंगे मेरे राम

जै राम, श्रीराम जय जय राम ............



बलबीर राणा “अडिग”

© सर्वाध सुरक्षित














    

     


5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (10-10-2013) को "ब्लॉग प्रसारण : अंक 142"शक्ति हो तुम
    पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.

    जवाब देंहटाएं