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सोमवार, 19 दिसंबर 2016

****** हकदार ******

इस प्रकृति के विभव कोष का 
कौन पुरुष सुख भोगा सकता
चिर काल तक मानस मन पर
केवल प्रजा वरद पुत्र रह सकता
श्रम जिसका मनु हित रचा गया
वही देव सिंहासन हकदार हो सकता ।



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