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सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

वार क्राई जय घोष

1.
शूरबीर तुम भारत के बढ़ते जावो चढ़ते जावो
रण नाद जय हिंद, जय भारत का करते जावो।

न रुके कदम कभी, न कभी बाहुबल लड़खड़ाये
चहूं ओर भारत क्षितिज पर तिरंगा लहराते जावो।

हौंसले में उमंग हो, उमंग में जतन हो
जतन में बिराम न आये, पौरुष रिपु माथे चढ़ता जाए
हे भारत पुत्र भरतवंशी, रंग बिलग संग चलते जावो
जय घोष जय हिंद, जय भारत का करते जावो।

2.
वार क्राई जय घोष, जब युद्ध मैदान गरजता है
दुश्मन का काल बन, हिन्द का जवान उतरता है।
आदर्श वाक्य रेजिमेंट का, सर माथे हमारा होता है
हुंकार भर रण भूमि में दुश्मन के पग तोड़ता है।

3.
“जय महाकाली  आयो  गोर्खाली” गोरखा बोलता है
“कायर हुनु भन्दा मरनु राम्रो” आदर्श संग खड़ा होता है।

“बोल बद्री  विशाल लाल  की  जय” करके गरजते गढ़वाली
"युद्धाय कृतनिश्चय:" आदर्श से कोई वार न जाता खाली।

“गरुड़ का हूँ बोल प्यारे”  तगड़े गार्ड्स चिल्लाये
“पहला  हमेशा  पहले”  आदर्श से झंडा  लहराये।

“कर्म ही धर्म है” के आदर्श की जब बजेगी मुनादी
“जय बजरंगी बोल”  पवन  पुत्र  की  तरह  कूदते  बिहारी।

जब चल पड़ेगा विजय रथ “शत्रुजीत सर्वदा शक्तिशाली”
हर हर महादेव कर छातों से कूद पड़ता छाताधारी।

“जो बोले निहाल सत श्री काल” गुरु मंत्र  ले रण भूमि पंजाबी उतरते है।
आदर्श “स्थल और जल” पर पताका फहराने का वे जज्बा रखते हैं।


“अडि कोलू अडि कोलू”  की हुंकार भर जब मद्रासी चलता है
“स्वधर्मे निधनं श्रेयः” आदर्श के लिए समग्र समर्पण करता है।

सर्व धर्म एक ही परिवार के जब ग्रेनेडियर्स जवान फांदता है
“सर्वदा शक्तिशाली, जय हिंद का नारा” चहुँ ओर गूँजता है।

“छत्रपति शिवाजी महाराज की जय” बीर मराठा जब कहता है
आदर्श “कर्तव्य मन साहस” ले रुधिर चाप रण में चढ़ता है।

वीर वे जब  दहाड़ खोले,
“राजा राम चन्द्र की जय” वो बोले
“बीर भोग्या वसुंधरा” का आदर्श ले चल
राजपूताना राईफल के दृग से अरि साहस डोले।

“सर्वत्र विजय” का साहस जिसमें है
भारत के राजपूतों का खून उनमें है
“बजरंगबली की जय” जयकार से
नेस्ता नबूत करने की हिम्मत उसमें है।


“जाट बलवान जय भगवान” का जय घोष जिसका
“संगठन और बीरता” आदर्श शूत्र में विश्वास जाट का।

गुरु मंत्र “बोले निहाल सत श्री अकाल” जय घोष जो गरजते हैं
“निश्चय कर जीत अपनी करूं” वह सिख रेजिमेंट के बरसते हैं
नाम नमक निशान के लिए माँ भारती के शूर मर मिटते हैं
“डेग तेग फतेह” आदर्श संग सिख लाईट इन्फेंट्री के बन्दे होते हैं।

अनन्त पराक्रम की यह धरती
आदर्श जिसका “कर्तव्यम् अनवतमा्” है
“ज्वाला माता की जय” का चीर जो बांधे
वह डोगरा इस भूमि का बहादुर सर्वोतम है।

“पराकर्मो  विजय” का दम्भ से शौर्य गाथा जो लिखता है
“कालिका माता की जय” घोष बीर कुमाऊंनी चिंघाडता है।

“यश सिद्धि” पर विश्वास रखने वाले पराक्रमी हमारी शान हैं
“भारत माता की जय” महार रेजिमेंट का बीर सर्वत्र विद्यमान हैं।

“प्रस्शत रण बीरता” आदर्श, “दुर्गा माता की जय” वे बोले
जैक राईफल के रण बीरों समुख दुश्मन का साहस डोले


“बलिदानम् बीर लक्षणम्” श्री श्रेयकर जो पूजते हैं
“भारत माँ की जय” जय घोष जो करते हैं
काफिरों को जहनुम भेज देते ततक्षण
जब जैक लाईट इन्फेंट्री के बन्दे रण उतरते हैं

आदर्श “स्नो वेरियर और स्नो टाईगर” उतुंग शिखर रणधीर
जय घोष “की की सो सो ल्हरग्यालो” बोलते लादाखी हिमबीर

जिन्न दुश्मन का तब हिल जाता है
“रईनो चार्ज” करते जब आसामी आता है
“आसाम बिक्रम” आदर्श ले जब
हुंकार आसाम रेजिमेंट का बीर भरता है


4.

इन वार क्राई युद्ध घोषों की सह
रिपु दमन कभी बिराम नहीं लेने वाला
आप सुनिश्चिंत रहो देश वासियो
बीरों का तारुण्यताप नहीं गिरने वाला
कटिबद्ध  प्रण है प्राण जब तक देह में
नहीं उखड़ेंगे अडिग के कदम किसी नेह में
अग्नि निर्झरी फूटेगी जिगर के तप्त कुण्डों से
भारत का अभिषेक होता रहेगा दुश्मनों के मुंडों से।

प्रस्तुत रचना भारतीय थल सेना का मुख्य अंग जमीनी लडाई लड़ने वाले इन्फेंट्री रेजिमेंटस (पैदल सेनानगों) को समर्पित है जिनका पौरुष लडाई की आखरी विजय को सुनिश्चित करता है ।

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