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शनिवार, 20 मार्च 2021

प्रेम की शक्ति



मेरा देश मेरी मिट्टी 

मेरी दृष्टि मेरी मेरी सृष्टि

न उच्चाट 

न खट्टास 

एक आदेश 

आदेशानुसार भेष

थार मरुस्थल में थीर 

रन ऑफ कच्छ में धीर 

सियाचिन ग्लेशियर में अडिग 

हिमालय  हिमशिखरों में अटल 

उत्तरपूर्व सघनों में सतर्क 

समुद्री तटों पर तठस्थ 

कहीं भी मन नहीं उचटा

कहीं भी दिल नहीं हटा

काठ की भूमि में काठ बन 

चलता रहा

आत्मसात करता रहा

महान राष्ट्र की 

विधिद्द जलवायु को, 

लू, उमस, शीत लहर

कुछ भी तो नहीं चुभा

क्योंकि यह प्रेम की शक्ति है 

वर्दी और

माँ भारत माता के प्रेम की।


@ बलबीर राणा अड़िग

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