बहुत हिम्मत और
ताकतवर है साब भूख
हजारों मील दौड़ती है
संसार के ओर छोर
महाद्वीपों से महाद्वीप
प्रायद्वीपों से टापुओं में
दाने के लिए।
भूख बहुत
भावुक नाजुक
कंयारी क्वांसीली ठैरी,
पिघल जाती है
द्वार चौराहों पर
तीर्थ मंदिरों में
गली, चौक, चौराहों और दरवारों में,
स्वान बन नतमस्तक हो जाती है
अपने लायक दाने को।
भूख बड़ी
खूंखार आदमखोर है
चूस लेती है खून
ठेले के नीबू से
मल्टीप्लेस मौलों तक,
चपरासी की फाइल से
बड़े साब के हस्ताक्षर तक ,
गली का गड्डा भरने से
एक्सप्रेसवे बनने तक।
भूख बड़ी झूटी
लंपट है
क्षुधा मिटते ही
वादाखिलापी पर आ जाती है
गिरगिट की तरह रंग
बदलना इसकी फितरत में है
विशेषकर कुर्सी भूख का।
झोपड़ी, मंजिलों से
अट्टालिकाओं में,
टाट पट्टी,
प्लास्टिक कुर्सी से
लग्जरी रोवोल्विंग चियरों में
विलग रूपों वाली है भूख।
विभन्न भाव भंगिमाओं में
नजर आती है भूख
कहीं रोती बिबलाती
कहीं मुल्ल-मुळकती
कहीं खिखताट तो
कहीं विभत्स ठहाका लगाती
दुखाती, बनाती, रचाती, नचाती
रहती है जीवन को।
कुछ भूख घर चलाने को
कुछ केवल घर भरने को
कोई भूख, भूखों के लिए
कोई स्व सुखों के लिए
खटकती रहती है।
एक भूख प्रेम को
एक घृणा को
एक आत्ममुग्त्ता को
एक राष्ट्र स्वाभिमान को
व्याकुल करती है ।
भूख
चातक के जैसे
स्वाति नक्षत्र में
बरसने वाली बूंद की प्रतीक्षा में
तठस्थ नहीं रह सकती
बल्कि
पिपीलिका की तरह
हर समय गतिमान
चलायमान रहती है
जीवन चलाने को ।
@ बलबीर राणा ‘अडिग’
भूख को विभिन्न रूपों में बडे ही सटीक तरीके से प्रस्तुत किया है आपने। आज की सच्चाई की बानगी है यह कविता। अपनी गढ्वाली शब्दों से कविता को चार चांद लगा दिया आपने
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार बहनजी आपकी प्रतिक्रिया कलम को बल देती है, स्नेह बना रहे।
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (24-5-22) को "ज्ञान व्यापी शिव" (चर्चा अंक 4440) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
हार्दिक आभार कामिनी सिन्हा जी
हटाएंभूख के अनेक रूप दिखा दिए । बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संगीता स्वरूपा जी
हटाएंवाह वाह!निःसंदेह मार्मिक👌👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद विवेक जी
हटाएंपेट की भूख से लेकर कुर्सी की भूख तक और भी सभी प्रकार की भूखों को उनके रूप गुणों के साथ और उन भूखों को मिटाने की हर कला को अद्भुत शब्द एवं बिम्ब में लाजवाब तरीक़े से समेटा है आपने । साथ ही अपने गढ़वाली शब्दो से और भी दमदार बनाया है सृजन को...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत लाजवाब सृजन हेतु साधुवाद🙏🙏🙏
आदरणीया देवरानी जी हार्दिक धन्यवाद और आभार
हटाएंभूख तेरे कितने रूप, सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद दीपक जी आभार, मेरे ब्लॉग में आने का, हार्दिक स्वागत करता हूं
हटाएंबहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
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