धरा पर जीवन संघर्ष के लिए है आराम यहाँ से विदा होने के बाद न चाहते हुए भी करना पड़ेगा इसलिए सोचो मत लगे रहो, जितनी देह घिसेगी उतनी चमक आएगी, संचय होगा, और यही निधि होगी जिसे हम छोडके जायेंगे।
1.
भ्रम होना ही
गलत होना है
इसलिए
मत मिथ्या में रहो
कि
मैं उम्रदराज हूँ
गलत नहीं हो सकता।
2.
गलती उम्र की
समय सीमा नहीं मापती
यह किसी को भी
कहीं भी
नाप लेती है।
@ बलबीर राणा अडिग
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