अक्सर लोग तुम्हें समझायेंगे
मुश्किलों का भय दिखलाएँगे
बढ़ाओगे जिस डगर तुम डग
उस डगर पे डर बतलाएँगे।
मुश्किलों का भय दिखलाएँगे
बढ़ाओगे जिस डगर तुम डग
उस डगर पे डर बतलाएँगे।
लेकिन डरना नहीं संभलना है
बुद्धिबल विवेक से लड़ना है
जीत न हो जब तक आखिर
तब तक अडिग रहना है ।
आपके बढ़ते चढ़ते डगों पर
कुछ लोग लंगड़ी लगाएंगे
अक्सर लोग.........
कोई लक्ष्य नहीं आसान होता
कुछ जतन नहीं बेमान होता
साधना संधान टिकी अक्षि का
भेदन अचूक वेगवान होता।
आपके लक्ष्य भेदन का भी
लोग कुछ और ही भेद निकालेंगे
अक्सर लोग.........
वक़्त सभी का, वक़्त के हैं सभी
लेकिन ये वक़्त ना फिरसे आएगा
करना है जो करलो अभी
होगा जो देखा जाएगा।
आपके वक़्त भटकाने को
लोग वक़्त को वेवक़्त बताएंगे
अक्सर लोग.........
श्रम साधना का वांछित मार्ग
रिद्धि-सिद्धि तक जाता है
सुकर्मपथ पर निकला स्वेद
इच्छित श्रीवृद्धि देता है।
आपकी इस श्रीवृद्धि को भी
लोग भाग्य योग बताएंगे।
अक्सर लोग.........
©® बलबीर राणा 'अडिग'
5 अप्रेल 2024
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय लक्ष्मी प्रसाद जी
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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