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मंगलवार, 31 दिसंबर 2024

कभी नहीं छूटता चलने को




कभी नहीं छूटता चलने को,
संघर्ष जीवन से निकलने को।

सुरज इस लिए रोज डूबता है,
फिर एक नईं सुबह उगने को।

वक्त चलायमान रुकता कहाँ, 
वक्त होता ही है गुजरने को।

लगे रह हैरान परेशान न हो,
तू आया ही है कुछ करने को।

संजो समय को सामर्थ्य से,
सामर्थ्य होता ही संवरने को।

कर्म का नाम ही जीवन अडिग,
कर्म बिन जीवन न निखरने को। 


@ बलबीर राणा 'अडिग'

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