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सोमवार, 17 दिसंबर 2012

ढाई आखर प्रेम कु




ढाई आखर प्रेम  कु बोली जावा
दुखः सुख बिसरी जावा
ये आंखर तें ग्येल्या बणे द्यावा

भलु बोलण मा भी गीचू ला खतेण चा
बुरू बूण मा भी गीचू खतेण चा
किले नी ? भलू बोली जावा

गीचू खटू कैरी खटाश ना बिछावा
अफूतें दूर ना करावा 
एक बार मिठू बोली जावा

क्वे नी बैरी क्वे नी पराया
अपणु ही गीचा अपणू बैरी
ये बैरी तें हटे जावा

क्ले रैन्दा कटय्यां कटय्यां
किले चा रूसंय्या
द्वी दिन का दिनोण यख
प्रीत कु आंखर बांटी जावा

मनखी जन्म चा अनमोल
दुबारा नी मिलदू कैतें
प्रीत का पाणी मां डूबी जावा

ये ढाई आंखर मा ताकत चा भौत
सब अपणा लगला हमूतें
एक बार अजमे के देखी ल्यावा

अंखार हैरी जान्दू यू ढाई आंखर
अपणा पराया कु भेद मिटे देन्दू
जतन कैरी जावा

ये आंखर मा वो सिद्धी चा
जू नी कै मन्दिर थाती बाती मां  नीचा
एक बार पूजी जावा
  बलबीर राणा "भैजी"
25 अगस्त   2012 

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