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गुरुवार, 31 जुलाई 2014

एक तम

अर्ज तो की थी सृश्ठी कर्ता से
कि!!
बचा ले अपनी कृति को
लेकिन वे भी
विबस  दिखीं ...
प्रकृति के प्रकोप से,
फिर!!
विज्ञान की विभत्स रचना
क्यों ???
दंम्भ भर रही...
अनुचित भार वहन करना
किसी को नहीं भाता
फिर जीवन गुरु
प्रकृति क्यों ढोती जायेगी ??
............बलबीर राणा "अडिग"

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