Pages

बुधवार, 9 जुलाई 2014

ख्वायिस

जन्नत की ख्वायिस ले चला था
लेकिन यहाँ तो भहसियों की पट पड़ी है
घटाएं देख झूम रहा था वो चातक
लेकिन वह धुवें की लकीर मरघट से चडी थी




@ बलबीर राणा "अडिग'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें