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शनिवार, 6 सितंबर 2014

क्यों मेरा बचपन मार दिया

माँ कहती थी
अले मेरे लाल
ज्यदा उथल पुथल न कल
बहार आने के बाद
खूब नाचना
सलालत करना
हुदंगल मचाना
किलकारियां मारना
लेकिन!!!
अब आई बारी किल्कीलाने की
तो... तो !

मेरा बचपन छीन लिया
किताबों का बोझ
कंप्यूटर इंटरनेट
दुनियां का इन्साइक्लोपिडिया थोप दिया
डाक्टर, इंजिनियर
और ना जाने कितने प्रकार की
पैंसों की मशीन बनाने की जुगत
वाह रे दुनियां
दुनियां वालो
तुम्हारा लालच ने
क्यों मेरा बचपन मार दिया।

:- बलबीर राणा "अडिग"
© सर्वाधिकार सुरक्षित

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