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रविवार, 10 मई 2015

माँ मेरी भावांजलि


माँ
तेरे चुम्बन का अहसास
थपकियों का प्यार
गोदी का सुख
माथे पर काले टीके की
लक्षमण रेखा
टीस उस डंडे की चोट की
जो कुसंगति की राह से अभी भी रोके हुए है
सब कुछ तो है
तेरा मेरे साथ
केवल तेरी काया ही नहीं है
उबरे (किचन) मैं
शीलन भरी लकड़यों के साथ
जूझती तेरी फूक
और आँख के आँशु ही नहीं है
तेरा जीवन के मध्य में जाना
मेरा दुर्भाग्य था
आज तेरी सगोडि
फ़ूलों से लकदक है
सारे फूल तेरा अभिषेक करते हैं
इसी तरह आशीष की
छत्र छाया रखना ।

सगोड़ी=बाटिका

@ बलबीर राणा 'अडिग'
फोटो साभार गूगल

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