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मंगलवार, 19 मई 2015

विकास का पथिक

पथिक आप दौड़ रहे हैं
संग मेरी आशाएं भी पीछा कर रहीं हैं
आशाएं अपेक्षा को बल दे रही
सपना उन्नत भारत का देख रही
योगी राह में थक ना जाना
मेरी अपेक्षा को उपेक्षित ना होने देना
तुझे मंजिल पर पहुंचना होगा
मुख विरोधियों का बंद करना होगा।
सौभाग्य भारत का अब नहीं सोयेगा
अब ना दुःख की बाट कोई जोयेगा।

@ बलबीर राणा 'अडिग'

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