धरा पर जीवन संघर्ष के लिए है आराम यहाँ से विदा होने के बाद न चाहते हुए भी करना पड़ेगा इसलिए सोचो मत लगे रहो, जितनी देह घिसेगी उतनी चमक आएगी, संचय होगा, और यही निधि होगी जिसे हम छोडके जायेंगे।
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मंगलवार, 1 सितंबर 2015
संस्कार
तू मरेगा तो युग मरेगा
बस छूट जायेंगे जीवास्म
लेकिन
ध्यान रखना
जीवास्म परजीवी होते हैं
जहाँ पोषण मिले
जम जाता है
बस अडिग
तुझे
यहीं समझना है
समझाना है।
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