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शुक्रवार, 20 मई 2016

अडिग सन्देश


किसी को सत्ता चाहिए किसी को मद चाहिए
मेरी हद इतनी है मुझे मेरा वतन सुरक्षित चाहिए।

तथष्ट हूँ क्षितिज पार के बैरी की चिंता  करो
विनती है अपने ही घर में आततायी पैदा  करो।

एक ही कोख से जन्मे थे ये मैं क्षण में भूल जाऊंगा
देश द्रोही उस भाई का कंठ पल भर में घोंट जाऊंगा।

जननी के बिलाप को सहस्र सहन कर जाऊंगा
लेकिन माँ भारती के क्रंदन को नहीं सह पाउँगा।
 नहीं सह पाउँगा

रचना :- बलबीर राणा 'अडिग'

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