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मंगलवार, 3 मार्च 2020

थाह


जगत पथ की पगडंडियों पर
जीवन चलता है बढ़ता है
असीम थाह की चाह में मनुज
अथाह अनायास भागता है

असीम थाह मिलती नहीं
जीवन में इसका ठौर नहीं
कर्म प्रधान है जीवन तो
कर्म सिवा किुछ और नहीं

जब तक पथ शेष है जीवन का
विश्राम नहीं आराम नहीं
अकर्म विकर्मो के राहों पर
ईश्वर नहीं राम नहीं ।

@ बलबीर राणा 'अड़िग'

2 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर रचना।
    जब तक पथ शेष है जीवन का
    विश्राम नहीं आराम नहीं
    अकर्म विकर्मो के राहों पर
    ईश्वर नहीं राम नहीं ।
    अनंत राह ही जीवन है और कर्म ही अनंत राह। आराम के क्षण राम कहाँ मिल पाएंगे।
    बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ।

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  2. आपकी प्रेरणा प्रद टिप्णी हेतु हृदय से आभार आदरणीय पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी।

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