दुर्गन्ध गुलामी
की उबाती होगी
सुगंध माटी की ललचाती होगी
कैद में बंद माँ भारती की घुटन
परवानो तुमको तड़फाती होगी।
जंजीरों में
जकड़े भारत का क्रंदन
तुमसे देखा नहीं गया होगा
खुली हवा में सांस लेते भारत को
सपनो में तुमने देखा होगा।
कराह भारतियों
की विथाती होगी
दुर्गन्ध गुलामी की उबाती होगी।
माटी का कर्ज
चुकाया तुमने
पुत्र होने का फर्ज निभाया तुमने
स्व को त्याग बलिदान दे करके
रंग दे बसंती चोला पहना तुमने।
फिरंगियों देख
भौंहे चढ़ती होगी
दुर्गन्ध गुलामी की उबाती होगी।
फांसी के फंदे
पर झूलते समय
मुस्कान भारत की देखी होगी
इस लिए झूल गए खुशी-खुशी
कितनी अनोखी मौत वह होगी।
माँ भारती जणगनमण
सुनाती होगी
दुर्गन्ध गुलामी की उबाती होगी।
शत शत नमन शेर
ए हिन्दो
शीश झुका तुम्हें सलाम
धरती पुत्रों की शादाहत को
अडिग का कोटिस प्रणाम ।
सुगंध माटी की ललचाती होगी
कैद में बंद माँ भारती की घुटन
परवानो तुमको तड़फाती होगी।
तुमसे देखा नहीं गया होगा
खुली हवा में सांस लेते भारत को
सपनो में तुमने देखा होगा।
दुर्गन्ध गुलामी की उबाती होगी।
पुत्र होने का फर्ज निभाया तुमने
स्व को त्याग बलिदान दे करके
रंग दे बसंती चोला पहना तुमने।
दुर्गन्ध गुलामी की उबाती होगी।
मुस्कान भारत की देखी होगी
इस लिए झूल गए खुशी-खुशी
कितनी अनोखी मौत वह होगी।
दुर्गन्ध गुलामी की उबाती होगी।
शीश झुका तुम्हें सलाम
धरती पुत्रों की शादाहत को
अडिग का कोटिस प्रणाम ।
@ Balbir Singh Rana 'Adig'
#adigshabdonkapehara