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रविवार, 10 जुलाई 2022

दोहे



मद मोह में अंधे बन, न करो भागम भाग। 

रहे इतना भान मनुज, लगे ना अमिट दाग।।


सत मार्ग कारिज होवे, बन जाए कर्मप्रधान।

तेरे बाद रहे अमर, तेरे करम सुजान।।


कल के लिए आज तेरा, हो संचय तू जान।

सत पूंजी संकट मिटे, सत सुमार्ग पहचान।


देव धर्म धरा सब दीर्घ, कुपथ गमन नष्टवान।

शूल वाणी बमन तजो, सुवचन सम बलवान।


छुवीं नन्हीं शीतल बने, छुवीं ही बड़ी आग।

छुवीं लगे ऐसी अडिग, नष्ट हों तेरे दाग। 


छुवीं = बातचीत 


©® बलबीर राणा ‘अडिग’





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7 टिप्‍पणियां:

  1. मान्यवर भाव अच्छे हैं परंतु अभी शिल्पगत निखार अपेक्षित है,धन्यवाद!!!!

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    1. धन्यवाद ओंकार जी मार्गदर्शन के लिए, जरूर त्रुटियां दूर करूंगा

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  2. सुंदर भाव सृजन, दोहे का शिल्प अभी परिश्रम मांग रहा है।

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