कुण्डलिया
किरीट उतुंग हिमालय, उदर महा मैदान।
सप्त सिंधु बंग थाती, भुजाएँ शक्तिमान।।
भुजाएँ शक्तिमान, हैं तट प्राची प्रतीची,
विशाल हिन्द सागर, चरण है पावन काँची।।
जागृत राष्ट्रपुरुष, भारतविशाला एलीट,
युगों से अडिग अमर, है माँ भारती किरीट।।
@ बलबीर सिंह राणा 'अडिग'
ग्वाड़ मटई बैरासाकुण्ड
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