संताप का आना खुशियों का मुरझाना
कभी उन्माद का ठहाका लगाना
कभी उम्मीदों का दहाड़ मार रोना
बस इतना ही है जीवन फ़साना
पाने पहुँचने को संघर्षरत रहना
संघर्षों का कुछ कदम चढ़ना कुछ फिसलना
कभी लक्ष्य पाना कभी चूक जाना
गिरने उठने का क्रम लगे रहना
आशा-हताशा का लुक्का-छुपी खेलना
बस इतना ही है जीवन फ़साना।
मेरा-तेरा विषयों से घिरे रहना
विषयों का गतों में विभक्त रहना
कुछ को अंगीकृत, कुछ को तिरस्कृत करना
कुछ का संजीवनी कुछ का गरल होना
जीवन पर्यन्त पथ्य और पथ को खोजना
बस इतना ही है जीवन फ़साना।
एक उम्र में प्यार का मुफ्त मिलना
एक उम्र में प्रयत्न पर पाना हथियाना
एक उम्र में अनुनय विनय कर मांगना
ताउम्र मोहमाया में निमग्न रहना
अंतकाल तक मोहपाश का ना छूटना
बस इतना ही है जीवन फ़साना।
फ़साना - किस्सा / कहानी
@ बलबीर सिंह राणा 'अडिग'
01 अगस्त 24
पूरे जीवन का समग्र चित्रण करती है आपकी रचना। इंसान जीवन भर मायाजाल में घिरा रहता है। बेहतरीन रचना सादर
जवाब देंहटाएंबस कोसिस यही कि जीवन के ऊं अदृश्य पहलुओं को भी देखा जाए जो जीवन की आपधापी mein दृष्टि गौचर नहीं होते
हटाएंआभार महोदया सहृदय वंदन मेरे ब्लॉग पर आने का
जीवन सार को अभिव्यक्त करती नायाब कृति । अति सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंआभार बहनजी
हटाएंधन्यवाद अग्रवाल जी आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंसमय रहते जीवन क्या है इसे समझ लिया तो फिर कोई शिकायत ही शेष न रहे,,,लेकिन जीवन की पहेली बुझाना हर किसी को कब आ पाया है,,,,,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन
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