शुक्रवार, 2 अगस्त 2024

जीवन फ़साना



खुशियों का आना संताप का जाना
संताप का आना खुशियों का मुरझाना
कभी उन्माद का ठहाका लगाना
कभी उम्मीदों का दहाड़ मार रोना
बस इतना ही है जीवन फ़साना

पाने पहुँचने को संघर्षरत रहना
संघर्षों का कुछ कदम चढ़ना कुछ फिसलना
कभी लक्ष्य पाना कभी चूक जाना
गिरने उठने का क्रम लगे रहना
आशा-हताशा का लुक्का-छुपी खेलना
बस इतना ही है जीवन फ़साना।

मेरा-तेरा विषयों से घिरे रहना
विषयों का गतों में विभक्त रहना
कुछ को अंगीकृत, कुछ को तिरस्कृत करना
कुछ का संजीवनी कुछ का गरल होना
जीवन पर्यन्त पथ्य और पथ को खोजना
बस इतना ही है जीवन फ़साना।

एक उम्र में प्यार का मुफ्त मिलना
एक उम्र में प्रयत्न पर पाना हथियाना
एक उम्र में अनुनय विनय कर मांगना
ताउम्र मोहमाया में निमग्न रहना
अंतकाल तक मोहपाश का ना छूटना
बस इतना ही है जीवन फ़साना।

फ़साना - किस्सा / कहानी

@ बलबीर सिंह राणा 'अडिग'
01 अगस्त 24

10 टिप्‍पणियां:

Abhilasha ने कहा…

पूरे जीवन का समग्र चित्रण करती है आपकी रचना। इंसान जीवन भर मायाजाल में घिरा रहता है। बेहतरीन रचना सादर

Meena Bhardwaj ने कहा…

जीवन सार को अभिव्यक्त करती नायाब कृति । अति सुन्दर सृजन ।

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

आभार बहनजी

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

बस कोसिस यही कि जीवन के ऊं अदृश्य पहलुओं को भी देखा जाए जो जीवन की आपधापी mein दृष्टि गौचर नहीं होते

आभार महोदया सहृदय वंदन मेरे ब्लॉग पर आने का

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

धन्यवाद अग्रवाल जी आभार

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

धन्यवाद सर

कविता रावत ने कहा…

समय रहते जीवन क्या है इसे समझ लिया तो फिर कोई शिकायत ही शेष न रहे,,,लेकिन जीवन की पहेली बुझाना हर किसी को कब आ पाया है,,,,,
बहुत अच्छी प्रस्तुति

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत सुन्दर

Bharti Das ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन