1.
भ्रम होना ही
गलत होना है
इसलिए
मत मिथ्या में रहो
कि
मैं उम्रदराज हूँ
गलत नहीं हो सकता।
2.
गलती उम्र की
समय सीमा नहीं मापती
यह किसी को भी
कहीं भी
नाप लेती है।
@ बलबीर राणा अडिग
धरा पर जीवन संघर्ष के लिए है आराम यहाँ से विदा होने के बाद न चाहते हुए भी करना पड़ेगा इसलिए सोचो मत लगे रहो, जितनी देह घिसेगी उतनी चमक आएगी, संचय होगा, और यही निधि होगी जिसे हम छोडके जायेंगे।
1.
भ्रम होना ही
गलत होना है
इसलिए
मत मिथ्या में रहो
कि
मैं उम्रदराज हूँ
गलत नहीं हो सकता।
2.
गलती उम्र की
समय सीमा नहीं मापती
यह किसी को भी
कहीं भी
नाप लेती है।
@ बलबीर राणा अडिग
अनियंत्रित
निर्माण हर प्रखण्ड
विकास
की जद में खण्ड-खण्ड
आध्यात्म
आस्था गई पानी भरने
जब
से आया पर्यटन पाखंड।
लिखे जा रहे हैं विनाश शिलाखण्ड
कल
केदार आज जोशीमठ दंड
सुरंग
शूल कब तक सहेगी धरती
कल
और कोई मठ होगा झंड।
क्याजी
ब्वन ?
कैमा ब्वन
उतणदंड
उत्तराखण्ड ।
रचना : ©®
बलबीर राणा ‘अडिग’
8 Jan 2023