धरा पर जीवन संघर्ष के लिए है आराम यहाँ से विदा होने के बाद न चाहते हुए भी करना पड़ेगा इसलिए सोचो मत लगे रहो, जितनी देह घिसेगी उतनी चमक आएगी, संचय होगा, और यही निधि होगी जिसे हम छोडके जायेंगे।
आशाएं टिमटिमाती रहे
अपेक्षाएं झिलमिलाती रहे
दिप्यमान हो कर्म आभा आपकी
सफलता सदा फलातीत रहे।
अपनो का प्यार पास हो
जीवन पथ उज्जास हो
खुशियों की फुलझड़ियाँ फूटे
यह दिपावली आपकी खास हो।
@ बलबीर राणा अडिग
04 नवम्बर 2021