वक्त मिला नहीं अकसर बहाना होता,
वक्त का आना-जाना तो रोजाना होता।
वक्त नहीं करता किसी का इंतजार,
पकड़ो तो याराना, छोड़ो तो वेगाना होता।
नहीं होती भेंट अकल और उमर की,
एक का आना तो, एक का जाना होता।
दिललगी करो, दिललगी होनी चाहिए,
हाँ दिललगी को दिल से निभाना होता।
कुछ चेहरे होते हैं मन मोहने वाले, पर
चेहरों पे मर-मिट जाना बचकाना होता।
नजाकत देख ही गुफ़्तगू करना अच्छा,
हर मौसम नहीं सबको सुहाना होता।
पर्वत झरने नीड़ नदियां हैं जितने मोहक,
इस मोहकता को झंझावतों से लड़ना होता।
जरा संभल के और पूरा डट के अडिग,
वक्त को वक्त से वक्त पर उठाना होता।
@ बलबीर राणा 'अडिग'
चमोली उत्तराखंड