मान लो तो परेशानी होगी,
ठान लो तो आसानी होगी।
तिल का ताड़ बनाओगे तो,
शांत लहरें भी तूफ़ानी होगी।
व्यवहार में यूँ वेरुखी रखोगे तो,
जानी सूरत भी अनजानी होगी।
देव-धर्म मौ-मदद से दूर रहे अगर,
जब अपनी पर आये हैरानी होगी।
लगाम न लगी किशोरवय पर तो
फिर सामने-सामने मनमानी होगी।
बिना मतलब कोई धुर्र न बोले अडिग,
मतलब को इज्जत जानी-मानी होगी।
धुर्र - दुत्कार
@ बलबीर राणा 'अडिग'
ग्वाड़ मटई बैरासकुण्ड चमोली
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