जय हो बद्री विशाल, जय हो चौदह गढ़वाल।
तेरी सेवा करते रहेंगे, चाहे जैसा भी हो हाल।
त्याग समर्पण दृढ़ता पर,
अडिग हैं हम हर हाल।
असम्भव कहना सीखा नहीं,
भारत माता के हम हैं लाल।
माथा तेरा झुकेगा नहीं,
चाहे लहू भरे तालाब।
हमेशा डटे रहेंगे
हर वक्त हर हाल।
जय हो बद्री विशाल…….
जोधपुर से सिक्किम चढ़े,
पिथोरागढ़ से सियाचीन बढे।
मेघदूत में प्रशंसा पाकर,
मेरठ में और निखरे।
मणिपुर के जंगळों में,
विद्रोहियों को धूल चटाया।
सी आई पहली विजय पर,
साईटेशन हमने पाया।
जय हो बद्री विशाल……
देहरादून के पीस में
खेलों में किया कमाल।
नौसेरा एल सी पर,
हमने मचाया धमाल।
दुष्मन के घर में घुसकर,
तांडव हमने मचाया।
पाकिस्तानियों को ढेर करके
दुसरा साईटेशन कमाया ।
जय हो बद्री विशशाल……
ऑप पराक्रम सांबा में,
बुद्धी शक्ति हमने दिखाया,
बारूद लेंड माईनों का,
नयां इतिहास रचाया।
कटिहार फैजाबाद में,
ट्रेनिंग का लोहा मनवाया।
विश्व शांति कांगो में,
पल्टन ने कदम बढ़ाया।
जय हो बद्री विशाल…….
यू एन प्रशंसा लेकर,
स्वदेश की ओर बढ़े,
नौगाम कश्मीर तरफ,
पल्टन के कदम चढ़े।
जटि की चोटियों पर,
मुजाहिदों को खूब ठोका,
अजय तौमर की कृति ने,
तिसरा साईटेशन दिलाया ।
जय हो बद्री विशाल……
गरुड़ ताज़ पहन के,
रानीखेत के राजा बने,
पल्टन का करवां आगे,
आसाम की तरफ चले।
ऑप स्नोलेर्पड में,
समर्थ सामर्थ्य सराहाया,
पल्टन का झंडा फिर,
मेरठ पीस आया।
जय हो बद्री विशाल…..
पाईन डिवीजन में
चैम्पियन का ताज़ सजा,
गढ़वाली भुलाओं का
हर तरफ डंका बजा।
दीपसांग ट्रेक, लेह में
भुजबळ अब दिखाएंगे,
चुंग-फुंग चीनियों को
दम-ख़म हम बताएँगे।
जय हो बद्री विशाल…..
अमन हो या युद्धकाल,
कर्मपथ पर अडिग रहे।
अजेय यात्रा हमारी,
चारों दिशाओं में चलती रही।
अडिग नीव रखने वालो,
तुम्हें सत सत प्रणाम।
खंडित नहीं हाने देंगे,
कहता है पल्टन जवान।
जय हो बद्री विशाल, जय हो चौदह गढ़वाल।
तेरी सेवा करते रहेंगे, चाहे जैसा भी हो हाल।
@ बलबीर राणा अडिग
बीर राणा ‘अडिग’*
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