अपना कहने भर से अपनापन नहीं मिलता,
यार कहने वाले सब में याराना नहीं मिलता।
करते हैं सब ठोक बजा कर्म इस कर्मभूमि में,
लेकिन किये का सिला सबको नहीं मिलता।
हैरानी होगी परिणाम अनुकूल न निकलने पर,
परेशान होने से भी तो आराम नहीं मिलता।
राहों में बहुत मिलेंगे जो मन को भाएंगे।
केवल मन भाने से भाव नहीं मिलता।
हीरे तो भतेरे निकलते हैं खदानों में हर रोज,
लेकिन चमकने का नशीब सबको नहीं मिलता।
कुछ बातें काबू से बाहर की भी होती अडिग,
जाने दे बेकाबूओं को ठौर नहीं मिलता।
@ बलबीर राणा 'अडिग'