जिंदगी का एक ईनाम है दोस्ती,
बिंदास जीने का पैगाम है दोस्ती।
मित्रता में छोटा-बड़ा नहीं कोई,
इसी अहसास का नाम है दोस्ती।
लड़कपना सा रूठना लड़ना झड़गना,
फिर मिलके हुदंगड़ सरेआम है दोस्ती।
खट्टा कसैला तीखे से उपर उठा,
कच्चे से पका मीठा आम है दोस्ती।
भूले बिसरे हुए जो जीवन की भीड़ में,
उन्हीं बिसरों से अभिसार आयाम है दोस्ती।
निभाने की खानापूर्ति तक नहीं सिमित,
संग लड़ने खपने वाला संग्राम है दोस्ती।
अनैच्छिक औपचारिकता का मुंडारा चहुँ ओर,
अडिग उसी मुंडारे का बाम है दोस्ती।
*शब्दार्थ :-*
अभिसार - आगे बढ़कर
आयाम - विस्तार
मुंडारा - सर दर्द
@ बलबीर राणा 'अडिग'
ग्वाड़ मटई वैरासकुण्ड
9 टिप्पणियां:
सुन्दर
बहुत सुंदर सृजन
बहुत खूब
"...
लड़कपना सा रूठना लड़ना झड़गना,
फिर मिलके हुड़दंग सरेआम है दोस्ती।
..."
सत्य। दोस्ती को जीने वाला सबसे खूबसूरत इंसान होता है। शुभकामना।
धन्यवाद शाह जी
आभार महोदया
धन्यवाद भारती जी
धन्यवाद जोशी जी
धन्यवाद प्रकाश जी
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