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रविवार, 26 मई 2013

अन्धभक्त बण्यां च हम



अन्धभक्त बण्यां च हम 
अंधबिश्वास मा रम्यां च हम 
भै भ्राता तें बैरि समझणा च हम 
ये कारण भी,
बिकाश का दौड मा पिछड्ना च हम 
अन्धभक्त बण्यां च हम 

सैरू जिवन दोष लग्यूँ चा,
जिन्दगी भर बलि पे बलि देणा चा हम,
निर्दोष जीव तें मारि के,
अपणा अहम की पूर्ति कना च हम 
अन्धभक्त बण्यां च हम 

ढोंगी बामणू की गणना का जाल मा,
बक्या पुच्छायारों की चाल मा,
छाला, मशाण पे मशाण,
पूजणा लग्यां च हम  
अन्धभक्त बण्यां च हम 

ब्वारी की खुटी मुडी,
कैन घात, जैकार डाली।
रात नौन्याल बिबलाणु,
कैकी नजर लगी 
इन नजर पे नजर उत्तारदन हम 
अन्धभक्त बण्यां च हम 

सासू ब्वारी मा झगडा,
बेटा नौकरी नी लगणुबेटी की मंगणी नी होन्दी,
कैन देवता बिगाडी कैन पठ्य्याई,
इन भ्रांति पाल्यां चा हम 
अन्धभक्त बण्यां च हम 

भैंस दूध नी देणु,
गोरू लतेड और बल्दा मरखु ह्वेगे,
अभागी रांड कु सुबेर मुख दिखीगे,
रीता भांडु बाटा मा मिलीगे,
ना जाण कतगा मिथ्या मानसिकता पल्यां च हम
अन्धभक्त बण्यां च हम 
ये कारण भी बिकाश का दौड मा पिछड्ना चा हम

बलबीर राणा  "भैजी" 
अज्ञांत दिन महिना…. 1996






1 टिप्पणी:

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