अन्धभक्त बण्यां च हम ।
अंधबिश्वास मा रम्यां च
हम ।
भै भ्राता तें बैरि
समझणा च हम ।
ये कारण भी,
बिकाश का दौड मा
पिछड्ना च हम ।
अन्धभक्त बण्यां च हम ।
सैरू जिवन दोष लग्यूँ
चा,
जिन्दगी भर बलि पे बलि
देणा चा हम,
निर्दोष जीव तें मारि
के,
अपणा अहम की पूर्ति कना
च हम ।
अन्धभक्त बण्यां च हम ।
ढोंगी बामणू की गणना का
जाल मा,
बक्या पुच्छायारों की
चाल मा,
छाला, मशाण पे मशाण,
पूजणा लग्यां च हम ।
अन्धभक्त बण्यां च हम ।
ब्वारी की खुटी मुडी,
कैन घात, जैकार डाली।
रात नौन्याल बिबलाणु,
कैकी नजर लगी ।
इन नजर पे नजर उत्तारदन हम ।
अन्धभक्त बण्यां च हम ।
सासू ब्वारी मा झगडा,
बेटा नौकरी नी लगणु, बेटी की मंगणी नी होन्दी,
कैन देवता बिगाडी कैन
पठ्य्याई,
इन भ्रांति पाल्यां चा
हम ।
अन्धभक्त बण्यां च हम ।
भैंस दूध नी देणु,
गोरू लतेड और बल्दा
मरखु ह्वेगे,
अभागी रांड कु सुबेर
मुख दिखीगे,
रीता भांडु बाटा मा
मिलीगे,
ना जाण कतगा मिथ्या मानसिकता पल्यां च हम
अन्धभक्त बण्यां च हम ।
ये कारण भी बिकाश का
दौड मा पिछड्ना चा हम
बलबीर राणा "भैजी"
अज्ञांत दिन महिना…. 1996
1 टिप्पणी:
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