जिसकी सुनो उसका दर्द छोटा है,
सबको पडा यहाँ समय का टोटा है ।
भागम भाग में जिन्दगी
अब एक रेस है,
जीवन के हर काम मे
निकलता कोई ना कोई मीन मेख है ।
सडक से संसद तक हंगामा ही हंगामा है,
घर क्या राजतन्त्र के गलियारों तक
अपने की हितों का तराना है ।
नीतियां, धरनो और
जूलोसों के नीचे पिस रही,
रोजगार और कल्याण
स्वार्थ के पीछे घिस रही ।
आज कितना निरंकुश राज है,
जनतन्त्र या मनतन्त्र बिराज है,
जो कुर्सी पर बैठा
उसी का ठाट बाट है।
10 फरवरी 2013
बलबीर राणा “भैजी”
© सर्वाध सुरक्षित
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