किताब मा लिख्यां आँखर त मिट
जान्दा भुला
भाग मा लिख्यां नी मिटदा
किताब क्वी भी लिख सकदा भुला
जोग त्वेन अपणु खुद लिखण भुला
किले बिबलाट कनु मेरू प्यारू
भुला
कुसंगति लोभ मा न भाग मेरू भुला
किले मन अपणु भरमान्दू भुला
अब भी बगत छैन्ची जागी जाग भुला
जागी जाग भुला ...............
जागी मेरु भुला .............
मनखी जन्म मिलदू कै जतन का बाद
ये तें अर्खाद ना जाण दे हे
भूला.... आज
भलू बोली भलू सूणी भली बोली
सूणावा
भलू धर्म कर्म कैरी मनखी बणी
जावा
मेरू तेरू सब यखी छूटी जाण भुला
अपणा दगडी कुछ नी ली जाण भुला
बैरी भाव मां अपणु ज्यु ना जलो
भुला
अपणा बाटा मां कांडा न बिछोभुला
कांडा न बिछो भुला........
कांडा न बिछो भुला ...........
नाता रिष्ता भै बन्दों ना बिसरवा
भूला
द्वि दिन कु दगडू च समझ मेरू
भुला
त्वे दगडी त्यारा ही कर्म रैला
भूला
तेरी जगंयी जोत यख जगी रैली
भूला
जुग जुग याद रैल तेरू प्यार
भुला
ऊटंगडी वाला गाली खन्दा म्यार
भुला
मनखी रीति मन की प्रीती सीख
मेरू भुला
राक्ष और पशु वृत्ति छोड मेरू
भुला
छोड मेरू भुला .......
छोड मेरू भुला .........
किले बिबलाट कनु मेरू प्यारू
भुला
कुसंगति लोभ मा न भाग मेरू भुला
भाग मेरू भुला .....
भाग मेरू भुला ....
गीतकार :- बलबीर राणा “भैजी”
15 जनवरी 2013
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