तेरे आने से जिन्दगी आवाद हुई
सुखे खलियान में हरियाली उगी
उजडा जा रहा था घरौन्दा
निरसता पर बाज झपट रहा था
तेरे आने से चमगादडों की इस राह में
एका-एक दिवस का अवसान हुआ
रेत में तप रही थी प्रेम तृष्णा
जीवन ज्योति हवा के झोंको संग लड रही थी
तेरे आने से ना जाने कहां से
सूखे रेगिस्तान में सावन की बौछारें हुई
तन्हाई की ईंट तोड,
जवानी कंकरीट का ढेर बन रही थी
उदासी के समन्दर में
जीवन की सुबह ढूब रही थी
तेरे प्यार की पतवार से
जीवन की नय्या को खेवन हार मिला
आमावस्य की रात चंदा ढूंढ रहा था
ठिठुरते सपनो के लिए आशियाना ढूंढ रहा था
तेरे आने से आज पतझड होते अरमा नो में
बंसत का आगमन हुआ
जैसे गरीब की बीबी का सौ श्रृंगार हुआ
09 फरवरी 2013
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