सोमवार, 27 मई 2013

कृष्णा बंदना



सुनाई देती है मुझे सुख की बांसुरी

हे कृष्ण तेरे बृन्दाबन में

मझदार में है नय्या मेरी

तारनहार पतवार रह तेरे गोकुल में



सुनाई देती है आनंद की झंकार

हे मधुसुदन तेरे आँगन में

कुपथ से पग मेरे खींचे आये

तेरे तपोबन में



सुनई देती हैं मुझे विजय की शंख ध्वनि

हे त्रिलोकी तेरे रथ में

पापों से भरे कर्म मेरे

पार पाने आये तेरे रण में



तू तारन हार है

तू पालन हार है

तू दया का सागर है

तू भक्त वत्सल है



इस भक्त की विनती सुन जरा

कुपथ से राह दिखा जरा

तेरी सेवा में जीवन निवार करूँ

दिन रात तेरे नाम का जाप करूँ



एक तू ही सहारा है

तेरे बिन अब न कोई मेरा है

एक बार अवतरित हो जा बिहारी

मुझे राह दिखा जा मुरारी





गीतकार - : बलबीर राणा “भैजी”

१६ अप्रेल २०१३

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