धरा पर जीवन संघर्ष के लिए है आराम यहाँ से विदा होने के बाद न चाहते हुए भी करना पड़ेगा इसलिए सोचो मत लगे रहो, जितनी देह घिसेगी उतनी चमक आएगी, संचय होगा, और यही निधि होगी जिसे हम छोडके जायेंगे।
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बुधवार, 10 सितंबर 2014
कश्मीर में सैनिक की पुकार
नहीं डरे हम पत्थर और गोलियों से
नहीं खपा तुम्हारी नफ़रत की जुबानी
तुन्हें बचाना मज़बूरी नहीं फर्ज है
चाहे दहसतगर्दी हो या पानी।
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