धरा पर जीवन संघर्ष के लिए है आराम यहाँ से विदा होने के बाद न चाहते हुए भी करना पड़ेगा इसलिए सोचो मत लगे रहो, जितनी देह घिसेगी उतनी चमक आएगी, संचय होगा, और यही निधि होगी जिसे हम छोडके जायेंगे।
नहीं डरे हम पत्थर और गोलियों से नहीं खपा तुम्हारी नफ़रत की जुबानी तुन्हें बचाना मज़बूरी नहीं फर्ज है चाहे दहसतगर्दी हो या पानी।
#दहसतगर्दी #पानी @बलबीर राणा
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