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शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

सकून



उस बस्ती बस्ती में
सकून को हँसते देखा
जहाँ कच्चे ठिकानों में
पक्के ठौर थे
बेचैनी के अट्टाहास ने
सहमा दिया वहां
जहाँ  रात
चमचमाती झालरों में नाच रही थी। 

@ बलबीर राणा 'अडिग'

1 टिप्पणी:

  1. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (29-09-2019) को "नाज़ुक कलाई मोड़ ना" (चर्चा अंक- 3473) पर भी चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है
    .--
    अनीता सैनी

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