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सोमवार, 31 जनवरी 2022

स्वर्गजित



सरहद, सागर हर हद पर निगेहबान हैं,

चौकस हैं अरि अक्षि पर संधान हैं।

अडिग हैं आखरी लहू बूंद तक, न रंज ना राड़, 

स्वर्गजित सुत, भारतमाता के जवान हैं। 


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