सोमवार, 31 जनवरी 2022

स्वर्गजित



सरहद, सागर हर हद पर निगेहबान हैं,

चौकस हैं अरि अक्षि पर संधान हैं।

अडिग हैं आखरी लहू बूंद तक, न रंज ना राड़, 

स्वर्गजित सुत, भारतमाता के जवान हैं। 


2 टिप्‍पणियां:

भौत बढिया अडिग जी🙏 ने कहा…

भौत बढिया अडिग जी🙏

अनीता सैनी ने कहा…

वाह!सराहनीय सृजन सर।
सादर