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गुरुवार, 27 अप्रैल 2023

जिद्दी




प्रेमियों से

ज्यादा जिद्दी

धुन के पक्के 

इस धरा पर

और किसी को नहीं देखा।


निरा बहरे 

दुनियां की चुहल

चिल्लाहट भी

प्रेमगीत सुनाई पड़ता इन्हें ।


प्रेम पल्लवन के लिए 

सावन की रिमझिम

चाहते हैं सदैव

तभी तो

धरती का हर कौना 

हरा-भरा दिखता है

इन्हें 

सावन के अंधे की तरह।


जग्वाळ में बैठे प्रेमी

से जादा

कोई नहीं जानता

पल की गहराई 

प्रतीक्षा की लम्बाई

अंतहीन दिशाओं फैलाव 

आकाश के नीले का गाड़ापान ।



@ बलबीर राणा 'अडिग'

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