उसके हिस्से की
खुशियों को भी सहेजना पड़ता है मुझे
बॉर्डर पर
कि जब कभी छुट्टी पर होऊँ
तो हाथ बाँट लूँगा उसका
रोटी-सब्जी
साग-भात
झाडू-पौछा
कपड़े छपोड़ना
बच्चों को तैयार करना
उगैरा उगैरा
क्योंकि अकसर
उसके हर रोज
एक ही काम की दिक
सुनाई देती है फोन पर।
मेरा भी एक ही जैसा काम है
दिन रात का
बंदूक पकड़ ड्यूटी देना
जमीनी निशानों द्वारा चिन्हित
काल्पनिक रेखा
के पार के लोगों पर नजर रखना
जो कोई उधर से रेखा लांघे
उस पर गोली चलाना
पीटी करना
ताकि आगमी युद्ध के लिए फिट रहूँ
उगैरा उगैरा।
मुझे भी दिक होती होगी
पर निकाल नहीं सकता
वचन बद्ध जो हूँ
वचन दिया है
बच्चों की माता को
प्रेम करने का खुश रखने का
भारत माता को
दुश्मन के पग ना पड़ने देने का।
©® बलबीर राणा 'अडिग'
सुन्दर
जवाब देंहटाएंदिली आभार जोशी ज़ी
हटाएंवचन निभाना जो जानता है वही सच्चा सैनिक है
जवाब देंहटाएंजी महोदया
हटाएंबहुत-बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद हरीश जी
हटाएंबहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंवचन दिया है
जवाब देंहटाएंबच्चों की माता को
प्रेम करने का खुश रखने का
भारत माता को
दुश्मन के पग ना पड़ने देने का।
... बहुत सुन्दर------
आभार बहन जी
हटाएंख़ूब, वाह
जवाब देंहटाएंआभार विवेक जी
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